"हर प्राणी के लिए एक सुरक्षित दुनिया: मेरा सपना, मेरी ज़िम्मेदारी" "A Safe World for Every Being: My Dream, My Duty"

 मेरा सपना: एक ऐसी दुनिया जहाँ हर जीव खुश रहे



नमस्ते! मेरा नाम NPati है, और आज मैं आपको अपने जीवन का, बल्कि कहूं तो दुनिया का सबसे बड़ा सपना बताने जा रहा हूँ। बस दो मिनट रुकिए और इसे पढ़कर देखिए। अगर मेरा यह सपना आपको अद्भुत न लगे, तो आपकी मर्ज़ी।

तो चलिए शुरू करते हैं, अपने सपनों की दुनिया को। और हाँ, ये सपना सच तो ज़रूर करूंगा, भले देर से होगा, पर दुरुस्त होगा

मेरी सोच तबसे शुरू हुई जब मैं छोटा था (अभी भी मैं छोटा ही हूँ, लेकिन जब मैं लगभग 12 साल का था, फिलहाल मैं 16 साल का हूँ)। तब से मैं सोचता था कि हम इंसानों की जिंदगी तो अच्छी है, पर जानवरों की जिंदगी का क्या? उनके पास तो खुद का घर भी नहीं होता, जो था उसे तो हमने बर्बाद कर दीया |

जब बारिश होती है, हमें भीगने का मन नहीं होता तो घर में चले जाते हैं, पर जानवरों को तो उस बारिश में न चाहते हुए भी भीगना पड़ता है। गर्मी में हम AC या कूलर लगाते हैं, पर जानवरों को हालात से लड़ना पड़ता है।

हम इंसानों ने अपने फायदे के लिए उन्हें अनदेखा किया। शायद हम भूल गए हैं कि दुनिया की हर चीज़ हमारे जीवन के लिए कीमती है।


अगर कभी कोई जंगली जानवर हमारे घर में घुस जाए, तो हम उन्हें इतना मारते हैं कि हमें अंदाज़ा नहीं होता कि उन्हें दर्द कितना होता होगा

हमने हजारों एकड़ जंगल साफ कर अपने घर बनाए। पर जब जानवर हमारे घर में घुसे तो हमें गुस्सा आया। सोचिए, ये कितना अन्याय है।

उनका घर उजाड़ा तो ठिक,जब हमारा बारी आया तो मारो...

वो तो बेजुबान,भोले और मासूम होते हैं, पर हम तो समझदार हैं न? हमें तो सोचना चाहिए | वो किसी का कुछ नहीं बिगाड़ते, लोगों को लगता है कि हम डर जाते हैं,पर हमसे ज्यादा तो वो मासूम जानवर डरतें हैं |

फिर भी कुछ लोग अच्छा काम कर रहे हैं, पर समाज उन्हें ताना मारता है। और जो मदद करना चाहते हैं, वो "लोग क्या कहेंगे" सोचकर चुप हो जाते हैं। मैं भी ऐसा ही हूँ, अभी छोटा हूँ। लेकिन बस कुछ सालों की बात है, फिर पूरी दुनिया हमें जानेगी


🌱 मेरा भविष्य का संकल्प: बदलाव की शुरुआत

  • पानी की सुविधा: हर 2 किमी पर छोटे तालाब, ताकि हर जीव को सहारा मिले।
  • पौधारोपण अभियान: खाली ज़मीन खरीदकर पेड़ लगाऊंगा। पेड़ आपके नाम पर होगा, सेवा हमारी।
  • सड़क किनारे फलदार पेड़: हर पेड़ को समय-समय पर पानी देना एक व्यक्ति की जिम्मेदारी होगी। फल आने पर वह व्यक्ति उसे बेचकर जीवन चला सकेगा।
  • शाकाहारी समाज की ओर: मैं चाहूंगा कि अधिक से अधिक लोग शाकाहारी बनें।

कुछ लोग कहेंगे, "मांस जरूरी है वरना अनाज कहाँ से आएगा?" — लेकिन ये स्थिति भी हमने बनाई है, तो बदल भी सकते हैं।

मेरा जवाब: हम बदलेंगे, तो परिस्थितियाँ खुद-ब-खुद बदलेंगी। बाकी जिसकी जैसी सोच।

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